अपनी सिविल सेवा परीक्षा तैयारी को प्रभावी बनाने के लिए अस्तिक कुमार पांडे (AIR 74, CSE 2010) जो कुछ भी कर सकते थे, उसे करने के अलावा, अस्तिक ने अपनी तैयारी-योजना को चाक-चौबंद किया.
उनकी एक सोच ने उन्हे वह प्राप्त करने में मदद की जिसके लिए वह स्वप्न देख रहे थे – उच्च सफलता और भारतीय प्रशासनिक सेवा.
हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों में सफलता के प्रति विश्वास जगाने के क्रम में मैं अपने वर्षों पहले लिखे लेखों के माध्यम से जोश उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा हूं जो आपमें सफलता की आशा जगाने में और उच्च सफलता के लिए प्रेरित कर सकेंगे.
इस पोस्ट में, मैं मानसिक फोकस टूल के उपयोग के बारे में एक रोचक वाक्या मैं प्रस्तुत कर रहा हूं जिसमें एक मजबूत आश्चर्य सामने आया - "अवचेतन मन की शक्ति".
मैंने डॉ. जोसेफ मर्फी की इस पुस्तक "द पॉवर ऑफ योर सबकॉन्शस माइंड" को कई बार पढ़ा है और वर्षों से यह मेरा पसंदीदा पुस्तक है जो मैं किसी भी ऐसे युवा को उपहार में देता हूं जिससे मेरे लिए केवल परिचित होना ही कारण नहीं, यह उनके लिए है जिसके पास कुछ बड़ा पाने के सपने हैं.
यह पोस्ट मेरे वर्ष 2011 में लिखे ब्लाग पर आधारित है जिसमें मैंने अस्तिक कुमार पांडे (AIR 74, CSE 2010) से उनकी सफलता-यात्रा के बारे में लिखा था.
जब मैं दिल्ली के मुखर्जी नगर में कैफे कॉफी डे में अस्तिक कुमार पांडे से मिला, मैंने उनकी सफलता-योजना जानने के बारे में उनसे लंबी बात की और उनके कैरियर की प्रगति, उनके परिवार, उनके दोस्तों आदि के बारे में बहुत कुछ जाना.
इसी क्रम में हम अगले दिन फिर से उसी जगह पर मिले और सबसे प्रभावशाली कारकों के बारे में बात की.
इस क्रम में जो आस्तिक ने बताया और उनके IAS बनने के स्वप्न में जिस चीज ने मदद प्रदान की वह आसाधारण थी.
मैंने अस्तिक के मुख सो जो सुना वह कुछ ऐसा था जिस पर बहुत लम्बे समय से विश्वास करता हूं.
आस्तिक के शब्द "अवचेतन मन की शक्ति" में मेरे विश्वास की पुष्टि तो कर रहे थे, मैं मानता हूं कि यह वाक्या आप सभी के लिए भी एक सफलता-सूत्र के रूप में कार्य कर सकता है.
उन्होंने मुझे बताया कि अपनी सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा तैयारी को प्रभावी बनाने के लिए वह सब कुछ करने के अलावा, उन्होंने अपनी योजना को स्पष्ट शब्दों में लिख कर अपनी स्टडी-टेबल पर लगा दिया था ताकि लक्ष्य सदैव याद रहे.
इस योजना के अनुरूप अस्तिक ने अपने लिए प्रत्येक प्रश्न-पत्र में स्कोर करने के लिए प्राप्त अंक तय करने का लक्ष्य बनाया और एक पृष्ठ पर यह लिख उसे अपनी स्टडी-टेबल पर लगा लिया जिससे जब-जब इस पर नज़र पड़े, यह उन्हे लक्ष्य याद दिलाता रहे.
और फिर, इन्हें प्राप्त करने का लक्ष्य ले आस्तिक तैयारी में जुट गये.
मेहनत और एक केन्द्रित प्रयास के साथ मुख्य परीक्षा में आस्तिक ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और परीक्षा खत्म होने के बाद एक सकारात्मक परिणाम की आशा बनी.
साक्षात्कार के बाद जब अंतिम परिणाम आया तो यह सफलता संदेश उन्हें अपने दोस्त इंगित प्रताप सिंह (AIR 173, CSE 2010) के माध्यम से मिला और उन्होंने विवरणों पर अधिक ध्यान नहीं दिया.
परन्तु, जिस दिन उसने अपनी संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी अंकतालिका देखी, वह अपनी स्टडी-टेबल पर लगे कागज के उस टुकड़े पर लिखे गए अंकों के समान अपने प्राप्तांक देख चकित रह गये.
यह प्राप्तांक प्रत्येक प्रश्न-पत्र में लगभग बिलकुल वही थे जो उन्होंने खुद के लिए स्पष्ट रूप से निश्चित किए थे और उनकी सकारात्मक मान्यताओं ने उन्हें इस उपलब्धि को प्राप्त करने में मदद भी की.
माने न माने, आस्तिक के अवचेतन मन की शक्ति ने उन्हे वह लक्ष्य पूरा करने में मदद की जिसके बारे में मन में एक सोच बनी थी.
इसलिए, यदि आप अपने प्रयासों को जीवन्त बना, मेहनत को सार्थक बना जीवन में एक बड़ परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो सदैव सकारात्मक सोचें तथा अपनी सफलता के बारे में अपने अवचेतन मन में विश्वास पैदा करें.
ईश्वर ने चाहा तो आपके सपने भी एक दिन वास्तविकता बन आपके सामने आ जाएंगे.
अपने में विश्वास बनाये रखें और तैयारी में निरन्तरता बनाये रखते हुए अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते रहे.
उच्च सफलता की शुभकामनाएं!
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