सिविल सेवा परीक्षा की प्रणाली कुछ ऐसी है, जिसके द्वारा संघ लोक आयोग प्रत्येक उम्मीदवार की क्षमता, कौशल और व्यक्तित्व परीक्षण का मुल्यांकन परीक्षा के प्रत्येक स्तर पर व्यवस्थित एवं नपे-तुले मापदंड़ो पर करता है.
पिछले वर्षों में आये बदलावों के साथ पूरी परीक्षा प्रणाली में सामान्य अध्ययन की तैयारी का महत्व, चाहे प्रारम्भिक परीक्षा हो या मुख्य परीक्षा, दोनो में ही बहुत बढ़ गया है.
सिविल सेवा परीक्षा की पूरी परीक्षा प्रणाली पर नज़र डालने के साथ ही यह स्पष्ट हो जाता है कि तैयारी के बारे में सोचने के साथ सबसे पहले सामान्य अध्ययन की तैयारी करना ही हितकर है.
आज के परिप्रेक्ष्य में सिविल सेवा परीक्षा का मानक साधारण से बहुत ऊपर उठ चुका है और परीक्षक को उम्मीद है कि सिविल सेवाओं के लिए उपयुक्त उम्मीदवार में किताबी ज्ञान के अलावा सही दृष्टिकोण, तथ्यों का सह-संबंध, समस्याओं के प्रति संतुलित सोच और उभरती हुई संभावनाओं का सही आकलन एवं विश्लेषण करने की क्षमता हो.
अब, नई परिस्थितियोँ में, चाहे प्रारम्भिक परीक्षा हो या मुख्य परीक्षा दोनो में ही सामान्य अध्ययन की तैयारी का महत्व बहुत बढ़ गया है.
प्रारम्भिक परीक्षा के लिये प्रश्न-पत्र 1 (सामान्य अध्ययन) की तैयारी
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए एक विशाल सा प्रतीत होने वाले पाठ्यक्रम से सामना होने पर उम्मीदवार पूरे पाठ्यक्रम को कवर करने के लिए योजनाएं बनाते है और जैसे-जैसे आगे बढ़ते है सामान्य अध्ययन से जुड़े विविध प्रकृति के मुद्दों के रूप में चुनौतियाँ सामने आती रहती है और तैयारी को अद्यतन रखना अपने आप में एक बड़ा कार्य नजर आता है.
वैसे भी सामान्य अध्ययन की तैयारी हेतु जो उम्मीदवार एकीकृत दृष्टिकोण अपनाते हुए प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा दोनो के पाठ्यक्रम पर नज़र रख तैयारी करते हैं एवं मुख्य परीक्षोन्मुख तैयारी के रणनीति अपनाते हैं, उनके लिये प्रारम्भिक परीक्षा में प्रश्न-पत्र 1 (सामान्य अध्ययन) की तैयारी में अधिक कठिनाई नहीं होती.
वैसे भी अब आपके भाग्य का फैसला प्रश्न-पत्र 1 (सामान्य अध्ययन) पर ही निर्भर है क्योंकि प्रश्न-पत्र 2 (अभिवृति परीक्षण) क्वालीफाईंग हो गया है.
प्रारम्भिक परीक्षा के दोनो प्रश्न-पत्रों में वस्तुनिष्ठ परीक्षण में उम्मीदवार अपने संचित ज्ञान और परीक्षा तकनीक के बीच की कड़ी को समझने की आवश्यकता है. साथ ही, अभ्यास का अपना ही महत्व है.
हाँ, दोनो प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के प्रश्न-पत्रों के रूप अलग-अलग हैं जो उम्मीदवारों से प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिये पृथक रणनीति का मांग करते हैं.
इसीलिए कहा जाता है कि उम्मीदवार को प्रश्नों की प्रकृति, प्रवृति एवं स्तर को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी की योजनाओं को मूर्तरूप देना चाहिये.
मुख्य परीक्षा के लिये सामान्य अध्ययन की तैयारी
सामान्य अध्ययन के क्षेत्र में आये फैलाव के साथ अब सामान्य अध्ययन की तैयारी में एक नई सोच और विस्तृत आधार समय की मांग है जिसके लिए एक संतुलित तैयारी की आवश्यकता है.
हालांकि प्रश्न-पत्र I, II और III का पाठ्यक्रम पारम्परिक भाग एवं गतिशीलता का पुट लिए है इसलिए तैयारी में संकल्पनाओं की स्पष्टता के साथ नवीनतम जानकारियों पर पकड़ आपको सहायता प्रदान करगी.
सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम का ही विस्तार मान कर प्रश्न-पत्र IV आपसे उचित प्रयास की आपेक्षा रखता है. और इस प्रश्न-पत्र की ज़रूरतों को समझ आप तैयारी करें तो उच्च अंकों की आशा कर सकते हैं.
मुख्य परीक्षा की तैयारी में निरन्तरता कायम रखते हुए अपनी रणनीति के अनुसार क्रियान्वन पर बल दें.
विषयों की तैयारी में विश्लेष्ण महत्वपूर्ण है और जैसे-जैसे आगे बढ़ें, अपने नोट्स बनाते रहें तथा इन्हें समय-समय पर संशोधित करते रहें.
मुख्य परीक्षा में उत्तर लेखन का अपना महत्व है जिससे अपको अपनी कमियाँ जानने का मौका मिलेगा और शब्द-सीमा, समय-सीमा में उत्तर लिखने का अभ्यास होगा. इससे परीक्षा भवन में समय प्रबंधन को के आपको कोई परेशानी नहीं होगी.
कैसे करें इन स्थितियों का सामना
इस परीक्षा में विविध पृष्ठभूमि से उम्मीदवार आते है प्रत्येक के विषय, पसंद-नापसंद अलग-अलग है फिर पाठ्यक्रम के कुछ भाग ऐसे है जिनकी प्रकृति गतिशील है.
सर्वप्रथम, आपको आत्म-मूल्यांकन कर अपने सबल एवं दुर्बल पक्षों का आंकलन जरूरी है. इलके बाद ही अपनी ज़रूरतों के अनुरूप प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए नियोजन करें.
तैयारी संबंधी इन कठिनाइयों का सामना करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम को विभिन्न घटकों में तोड़ते हुए अपनी आवश्यकताओं को समझे और प्रत्येक घटक के लिए प्राथमिकताएँ स्थापित करते हुए तैयारी करें.
ज्वलंत मुद्दों और विभिन्न आयामों में विकास की सतत प्रक्रिया तैयारी में पैनापन लाने के लिए निरंतर सतर्कता और निरीक्षण तो आवश्यक है ही, अपने ज्ञान को अद्यतन रखने की भी आवश्यकता है.
अपनी तैयारी को अद्यतन रखना अनिवार्य है
उम्मीदवारों को UPSC के समसामयिक घटनाक्रम पर आधारित रुख को सही से समझना चाहिये और मूल-संकल्पनाओं की तरफ ध्यान देते हुए समाचार-पत्रों/पत्रिकाओं और इंटरनेट के समुचित उपयोग द्वारा नवीन घटनाओं/सूचनाओं की तैयारी में जुट जाना चाहिये जिसके द्वारा आपकी तैयारी सम्बंधित जानकारियाँ अद्यतन रहें.
अब, जहाँ विषयों के पारम्परिक एवं अद्यतन ज्ञान इस परीक्षा को भेदने के लिये आवश्यक हैं वहीं इसके लिये आपके द्वारा जुटाये गये संसाधनों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसलिये परीक्षा-संबंधी जरूरतों को सही से समझें और तैयारी को सिविल सेवा परीक्षा के मापदण्ड़ों को समकक्ष बनाते हुए लक्ष्य की ओर कदम बढ़ायें.
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