Prelims 2013: analysis of Paper I; UPSC delivers another surprise again
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प्रारंभिक परीक्षा 2013: प्रश्न-पत्र I का विश्लेषण, फिर से एक और आश्चर्य

admin Last Update on: 09 Jun 2020

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सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2013 में प्रश्न-पत्र I (सामान्य अध्ययन) में पिछले दो वर्षों की भांति 100 प्रश्न ही पूंछे गए.

इस बार सामान्य अध्ययन का यह प्रश्न-पत्र कुल मिला कर पारंपरिक प्रकृति का लगा और बहुत से उम्मीदवारों ने इसे पिछले दो वर्षों में आये प्रश्न-पत्रों की अपेक्षाकृत आसान पाया.


सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा का सामना करने के लिए लाखों अत्याधिक सक्रिय उम्मीदवार एक कठिन प्रतियोगिता का सामना करने के लिए अपने को तैयार करते हैं और ऐसे ही विश्वास से भरे उम्मीदवारों का जब प्रारंभिक परीक्षा 2013 के प्रश्न-पत्र I (सामान्य अध्ययन) से सामना हुआ तो उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही क्योंकि इस बार प्रश्नों की प्रकृति सही मायने में पारंपरिक रहा.

हाँ, प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न-पत्र I (सामान्य अध्ययन) पहली नज़र में ही महसूस करा देता है कि यह एक बार फिर से सही मायने में उम्मीदवारों के आधारभूत एवं वैचारिक ज्ञान का मूल्यांकन करने में सक्षम रहा.

इस प्रश्न-पत्र के बाद कई उम्मीदवारों में आत्मविश्वास दिखा और अधिकांश उत्साहित महसूस कर रहे थे और मुख्य परीक्षा में अपनी सीट सुरक्षित करने की उम्मीद कर रहे थे.

यह प्रश्न-पत्र प्रथम द्रष्टया सरल लगने का आभास देता है परन्तु, यह इतना आसन नहीं कि प्रत्येक उम्मीदवार आनंदित महसूस करने लगे. संघ लोक सेवा आयोग को सरल प्रश्नों को घुमावदार बनाने में महारथ हासिल है और इसका अंदाजा उम्मीदवारों को पिछले वर्षों की परीक्षा में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है.

एक संतुलित मिश्रण

पिछले अनुभवों को ध्यान में रख उम्मीदवार तैयारी में कुछ अप्रत्याशित प्रश्नों का सामना करने को और नए आश्चर्यों को ध्यान में रखते हुए जब परीक्षा भवन में पहुँच तो उनकी सांत्वना के लिए, इस  प्रश्न-पत्र में वहाँ कुछ भी ऐसा नहीं लगा जिससे एक गंभीर सिविल सेवा परीक्षा आकांक्षी संपर्क में नहीं रहा हो. किसी भी घटक से ऐसा कोई प्रश्न नज़र नहीं आ रहा जो किसी भी अच्छी तरह से तैयार उम्मीदवार के लिए घातक चुनौतियां पैदा करे.

एक बार फिर इस तथ्य की स्थापना हुई है कि प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र प्रभावी ढंग से निपटने में संचित ज्ञान और जानकारी के विस्तार का महत्त्व बहुत है.

सभी चतुर रणनीतियों का एक प्रभावी तैयारी के बिना कोई फायदा नहीं क्योंकि आपकी जागरूकता का स्तर इस प्रकार से मापा जाता है कि शायद देखने में यह आसन लगे फिर भी, इस परीक्षा को डिकोड करना इतना आसान नहीं है.

एक बार फिर कई प्रश्नों में गलत उत्तर को बाहर करने की प्रक्रिया द्वारा उम्मीदवारों को सही विकल्प चुनने में मदद मिली होगी. 

सबसे महत्वपूर्ण घटक राजनीति शास्त्र और इतिहास से प्रश्न प्रचुर मात्रा में हैं और इन्हें आसान कहा जा सकता है. संविधान से संबंधित पूंछे गए प्रश्नों की संख्या के कारण उम्मीदवारों का आत्मविश्वास बड़ा होगा.

किसी भी उम्मीदवार की यदि मूल-अवधारणा स्पष्ट हैं और समसामयिक मुद्दों से परिचित हैं तो अर्थव्यवस्था खंड के प्रश्नों को बिना शक के सरल कहा जा सकता है. अधिकांश प्रश्न प्रकृति में व्यावहारिक हैं और वास्तव में आपकी जानकारी के साथ संबंधित विषयों पर अवलोकन क्षमता की भी जाँच करते हैं.

हाँ, भूगोल और पर्यावरण/पारिस्थितिकी से जुड़े प्रश्नों को थोड़ा जटिल कह सकते हैं. परन्तु,  तैयारी के दौरान जिन उम्मीदवारों ने एटलस का व्यापक उपयोग किया होगा उन लोगों के लिए भूगोल से सम्बंधित प्रश्नों में से कुछ को संभालन आसान हो गया होगा.

हमेशा की तरह, विज्ञान से प्रश्नों के सामान्य और अभिप्रयोग पर आधारित होने के कारण उम्मीदवारों को विशेष परेशानी नहीं हुई होगी और इनके द्वारा परीक्षक उम्मीदवारों की जानकारी की सीमा का आंकलन कर पाएंगे.

संघ लोक सेवा आयोग ने इस बार भी निष्पक्ष दृष्टिकोण को बनाए रखा है और बिना किसी पूर्वाग्रह के उम्मीदवारों को इस प्रश्न पत्र को हल करने में मदद मिली होगी. यह एक संतुलित प्रश्न-पत्र है और मुझे नहीं लगता कि किसी विशेष पृष्ठभूमि के या भाषा विशेष के किसी उम्मीदवार को अधिक फायदा मिला हो.

मेरे लिए यह प्रश्न-पत्र उन कोचिंग संस्थानों और कुछ नए प्रकाशकों को संघ लोक सेवा आयोग का जबाव सा लगता है जो आजकल सिर्फ प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में से कुछ समाचरों की कतरनों पर आधारित सामग्री को संसाधन के रूप में बाँट रहे हैं.

अंत में मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि सामान्य अध्ययन का यह प्रश्न-पत्र उम्मीदवार की समझ की गहराई का आकलन करने में सक्षम होगा और प्रतिभाशाली और योग्य उम्मीदवारों के लिए मुख्य परीक्षा में अपना स्थान बनाने में सहायक रहा होगा.

 




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