सिविल सेवा परीक्षा 2012 का परिणाम में शीर्ष 100 रैंक में बहुत से उम्मीदवार ऐसे दिखे जिनका परीक्षा लिखने के लिए माध्यम हिंदी रहा था.
पिछले वर्ष की उस स्थिति को देख जहाँ हिन्दी माध्यम का परिणाम अच्छा नहीं था, यह परिणाम निसंदेह आशाजनक रहा और हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के चेहरों पर एक बार फिर से मुस्कान वापस लाया.
प्रियंका निरंजन को योग्यता सूची में 20 वीं रैंक मिला जो फिर से हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों में जोश भरने के लिए पर्याप्त रहा.
सफलता प्राप्त उम्मीदवारों की सूची में एक बार फिर से हिंदी माध्यम के साथ आशा बनी जब प्रियंका निरंजन (रैंक 20, सिविल सेवा परीक्षा 2012) ने हिन्दी माध्यम के साथ द्वितीय स्थान प्राप्त किया.
शीर्ष रैंक के साथ प्रियंका की सफलता निश्चित रूप से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए एक मनोबल बढ़ाने वाला समाचार रहा क्योंकि पिछले वर्ष सिविल सेवा परीक्षा 2011 में हिंदी माध्यम का परिणाम बहुत अच्छा नहीं था और शीर्ष 100 सफल उम्मीदवारों में केवल एक उम्मीदवार ही हिंदी माध्यम से था.
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक खंड विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत्त, प्रियंका ने यह शानदार सफलता छठे प्रयास में हासिल की.
सिविल सेवाओं की ओर झुकाव के बारे में प्रियंका ने कहा, "सिविल सेवाओं की प्रतिष्ठा एवं लोगों के बीच काम करने के अवसरों की उपलब्धता ने मुझे इसी क्षेत्र के प्रति समर्पित रखा."
हिन्दी माध्यम से तैयारी के बारे में प्रियंका ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं, वातावरण में नकारात्मक रुख बड़ी मुश्किल पैदा रहा था, लेकिन साथ ही हम यह भी समझ रहे थे कि यह असंभव नहीं है."
"इस बीच उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा में दो बार चयन (UP PSC 2008 व 2010) मिला तो यह यकीन बना कि हम सही राह पर हैं.
फिर, जब हमारे मित्र-समूह से जब शिव सहाय अवस्थी (रैंक 34, सिविल सेवा परीक्षा 2010) ने उच्च सफलता प्राप्त की, तो हम सभी अत्यधिक प्रेरित हुए."
उनकी सफलता के साथ, मुझे लगा कि मैं भी यह कर परीक्षा पार कर सकती हूँ और अपने सपनों को साकार कर IAS बन सकती हूँ.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, प्रियंका ने वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत भाषा का साहित्य और दर्शनशास्त्र के साथ सफलता हासिल की है.
अपने प्रयासों के बारे में प्रियंका ने कहा, "शुरू के तीन प्रयास गम्भीर नहीं थे, परन्तु सिविल सेवा परीक्षा 2009 और 2010 में तैयारी भी अच्छी रही और आशा भी बनी, पर दुर्भाग्यवश मैं संघ लोक सेवा आयोग के मापदण्ड़ के अनुरूप न पहुँच पाने के कारण सफलता से वंचित रह गई. इस प्रयास में समय-प्रबंधन एवं उत्तर-लेखन अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण रहा और सफलता की आशा ने इस बार निराश नहीं किया."
तैयारी के दौरान आई चुनौतियों के बारे में बात करते हुए प्रियंका ने कहा, " हिन्ढी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए प्रारंभिक परीक्षा एक बड़ी चुनौती बन कर ऊभरी है. इस प्रयास में तैयारी की रणनीति ऐसी बनाई जिसमें प्रारंभिक परीक्षा का सामना करने के लिए विशेष प्रयास शामिल रहे. सामान्य अध्ययन पर अधिक विस्तृत व गहन अध्ययन से प्रारंभिक परीक्षा में तो लाभ मिला ही, मुख्य परीक्षा के लिए भी आधार तैयार हो गया.
मेरी पृष्ठभूमि गणित व अर्थशास्त्र के क्षेत्र से होने के कारण नए स्वरुप में प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न-पत्र 2 का सामना करने में कोई विशेष परेशानी नहीं हुई.
मैंने उपलब्ध पाठ्य-सामग्री के रिवीजन की रणनीति बनाई. अपने पिछले प्रयासों का अनुभव और तैयारी के साथ मुख्य परीक्षा को ले मैं आश्वस्त थी और अंततः ईश्वर ने मेरी मेहनत का फल दे दिया.
हिंदी माध्यम के साथ सफलता की संभावना के बारे में बात करते हुए प्रियंका कहती हैं कि "यदि आपकी तैयारी की रणनीति सही है तो भाषा माध्यम से कोई फर्क नहीं पड़ता.”
कठिन परिश्रम व लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से सही दिशा में किये गये कार्य के साथ आप सफलता की आशा कर सकते है.
जरूरत है तो बस अपनी क्षमताओं पर विश्वास की.
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