सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा का प्रश्न-पत्र -V, सामान्य अध्ययन - IV है और इससे 250 अंक जुड़े हैं.
चाहे कोई भी परीक्षा हो जिसमें आप शामिल होने का मन बना रहे हैं इसके लिए सर्वप्रथम आपको परीक्षा की प्रक्रिया, इसकी आवश्यकताओं और परीक्षा मानकों को जानना आवश्यक है. जब आप ’सिविल सेवा’ में स्वप्निल कैरियर की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो आपको पाठ्यक्रम में शामिल उन सभी अवयवों से परिचित होना होगा जिन्हें आपको पढ़ने की आवश्यकता है.
तैयारी के दौरान यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसमें एक विशाल और अस्पष्ट पाठ्यक्रम है और हमारे आस-पास होने वाले घटनाक्रम के लिए आपकी बुद्धिमत्ता, अवलोकन और निरंतर नज़र की आवश्यकता होती है.
पाठ्यक्रम का फ्रेम वर्क आपको संरचना, पाठ्यक्रम की रूपरेखा और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी और विचार देता है.
प्रश्न-पत्र -V सामान्य अध्ययन- IV :
नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरूचि ।
इस प्रश्न-पत्र में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से संबंधित विषयों के प्रति उनकी अभिवृत्ति तथा उनके दृष्टिकोण तथा समाज से आचार-व्यवहार में विभिन्न मुद्दों तथा सामने आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर उनकी मनोवृत्ति का परीक्षण करेंगे । इन आयामों का निर्धारण करने के लिए प्रश्न-पत्रों में किसी मामले के अध्ययन (केस स्टडी) का माध्यम भी चुना जा सकता है । मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर किया जाएगा ।
- नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंध: मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र । मानवीय मूल्य - महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका ।
- अभिवृत्ति: सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरूचि; सामाजिक प्रभाव और धारणा ।
- सिविल सेवा के लिए अभिरूचि तथा बुनियादी मूल्य, सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना ।
- भावनात्मक समझ: अवधारणाएं तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग ।
- भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान ।
- लोक प्रशासनों में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र: स्थिति तथा समस्याएं; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएं तथा दुविधाएं; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतर्रात्मा; शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे; कारपोरेट शासन व्यवस्था ।
- शासन व्यवस्था में ईमानदारी: लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागिरक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां ।
- उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडी)
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