Role of coaching institute in General Studies preparation
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सामान्य अध्ययन की तैयारी और कोचिंग संस्थान की भूमिका

Admin Last Update on: 11 Jun 2020

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पिछले परिणामों को देख कर यह सवाल पूछा जाने लगा है कि सामान्य अध्ययन की तैयारी में कोचिंग संस्थान क्या सही भूमिका निभा पा रहे है ? फिर अब नई स्थितियों में तो यह और अधिक महत्वपू्र्ण निर्णय होगा क्योंकि मुख्य परीक्षा 2013 में नये प्रारूप के कारण उम्मीदवारों में दुविधा और बड़ जायेगी कि कौन सा कोचिंग संस्थान नई जरूरतों के अनुरूप तैयारी करा पायेगा.


सामान्य अध्ययन एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ बड़ी संख्या में उम्मीदवार कोचिंग संस्थानों की मदद लेते है. पर यदि एक नजर हाल के वर्षों में सामान्य अध्ययन के प्राप्तांकों पर डालें तो साफ़ दिखता है कि अधिकांश उम्मीदवारों का प्रदर्शन बहुत ही औसत रहा है और मुझे लगता है कि सामान्य अध्ययन के प्राप्तांकों का औसत 600 में से 230 अंकों के नीचे ही रहा होगा. अधिकांश सफल उम्मीदवारों में वैकल्पिक विषयों का रोल सबसे बड़ा रहा जो उनके पक्ष में काम कर गया.

अब यह सवाल पूछा जाने लगा है कि सामान्य अध्ययन की तैयारी में कोचिंग संस्थान क्या सही भूमिका निभा पा रहे है ?

फिर अब नई स्थितियों में तो यह और अधिक महत्वपू्र्ण निर्णय होगा क्योंकि मुख्य परीक्षा 2013 में नये प्रारूप के कारण उम्मीदवारों में दुविधा और बड़ जायेगी कि कौन सा कोचिंग संस्थान नई जरूरतों के अनुरूप तैयारी करा पायेगा.

इन प्रश्नों का जवाब देना मुश्किल है और निश्चित रूप से यह एक कठिनाई भरा निर्णय होने जा रहा है.

कठिनाइयों का दौर जारी है

मुझे लगता है कि इसकी व्याख्या दो प्रकार से की जा सकती है एक, संघ लोक सेवा आयोग ने कई बार स्पष्ट शब्दों में कोचिंग संस्थानों की भूमिका पर टिपण्णी की है और प्रतिभाशाली और योग्य उम्मीदवारों के चयन हेतु प्रत्येक वर्ष प्रश्न-पत्रों में कुछ आश्चर्यजनक तत्वों की उपस्थिति कोचिंग संस्थानों के लिए मुश्किलें खड़ा कर रही है.

हाल ही में आये बदलावों को मैं इसी क्रम में देखता हूँ जहाँ संघ लोक सेवा आयोग कोचिंग संस्थानों के रोल को कम करने का प्रयास कर रहा है और काफी हद तक सफल भी रहेगा क्योंकि वैकल्पिक विषय का महत्व नये प्रारूप में कम हुआ है.  साथ ही सामान्य अध्ययन के लिये रुझान देख कर तो ऐसा कुछ नहीं दिखता जिसके द्वारा नये उम्मीदवारों को साहस मिले क्योंकि पिछले परिणाम आशाजनक नहीं नज़र आ रहे हैं.

दूसरा, मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ कि कई कोचिंग संस्थान और शिक्षकों ने सामान्य अध्ययन से संबंधित विषयों को पढ़ने की कला में निपुणता हासिल की है लेकिन उभरती हुई चुनौतियाँ उम्मीदवारों से अपेक्षा रखती है कि मुद्दों के बारे में स्पष्टता और आधारभूत जानकारी हों.

वास्तव में किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए प्रत्येक मुद्दे एवं घटना को छूने की कोशिश असंभव ही है, परन्तु उम्मीदवारों को इस प्रकार तो तैयारी कराई जा सकती है कि कैसे जागरूकता और सामान्य बुद्धि के आधार पर भी प्रश्नों के उत्तर दिए जा सके और इस दिशा में प्रत्येक छात्र से 250 -300 छात्रों के बड़े बैच में संपर्क बना पाना मुश्किल है.

यदि कोचिंग संस्थान चर्चा पर आधारित शिक्षण पद्धति को अपनाएं जहाँ उम्मीदवार पूछे गए प्रश्न को सही से समझ पाए और अपनी सीमित जानकारी के आधार पर भी एक तर्कसंगत उत्तर देने में सक्षम हो सकें.

संस्थानों का रुख छात्रों की दिशा में होना चाहिए

यहाँ सवाल गुणवत्ता का नहीं बल्कि ज्ञान वितरण का है और यह वास्तव में कोचिंग संस्थानों का दायित्व है.

यदि छात्र हित को ध्यान में रखा जाता है और सीमित संख्या में उम्मीदवारों के छोटे-छोटे समूह को अध्ययन मिलता है तो प्रत्येक छात्र का बेहतर ध्यान और देखभाल की जा सकती है कि छात्र प्रगतिपथ पर है या नहीं ऐसे में शिक्षक भी छात्र की प्रगति का बेहतर आकलन कर सकते है

ऐसा हो सकता है कि कोचिंग संस्थानों में मेरे कुछ दोस्त मेरे साथ सहमत हो भी या नहीं भी परन्तु यह सत्य है कि कोचिंग उद्योग में एक नए दृष्टिकोण एवं ताजा सोच की आवश्यकता है. यह तो वैसे भी समय की ज़रूरत बन गई है क्योंकि नये प्रारूप में सामान्य अध्ययन की सटीक तैयारी के लिये नई सोच के साथ नये समाधानों तो ढूंढने ही पढ़ेंगे.

यह बात तो तय है कि हमारे कोचिंग उद्योग के भीतर से ही कुछ लोग जो इस परीक्षा और सम्बन्धी चीजों की बारीकियां समझते है ऐसे समाधान प्रस्तुत करेंगे जो इन उभरती हुई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भावी उम्मीदवारों में सफलता के प्रति आशा का नया संचार कर सकेंगे.

यह भी पढ़ें - सामान्य अध्ययन के लिए सबसे अच्छा कोचिंग संस्थान का चयन कैसे करें?

 

 




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